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सरकारी नोकरी / ओम पुरोहित कागद

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सरकारी नौकरी;
विधवा
पण
कामण गौरी रो
चावो गोलीपो!
जको एक'र
सरू करयां पछै
चायां
नीं चायां
करणो पड़ै।

ओ गोलीपो
करड़ो खारो है
जाणै
रांदां रो भारो है।
इण मांय
घड़ी—घड़ी
गडंकड़ी दांईं
धणी बदलता रे'वै
पण
गोलीपो चालतौ रे'वै
अर छेकड़ जांवतां
ना धणी रे'वै
ना धोरी रे'वै
उण टैम
उमर
ना घणी रे'वै
ना थोड़ी रे'वै
हां, जीवण री आस
थोड़ी भोत
खरची मिलती रे'वै
अर इणी आस मांय
जिनगी
खुरती रे'वै
खटती रे'वै
घटती रे'वै।
सब जाणै
कै उण टैम
कुण धणी?
पण ... ... ...