भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सर्वत एम जमाल

761 bytes added, 21:34, 9 जून 2010
* [[मैं भी इस दौर के बशर सा हूँ / सर्वत एम जमाल]]
* [[रोशनी सब को दिखलाइये / सर्वत एम जमाल]]
* [[भला ये कोई ढंग है, मिला के हाथ देखिए / सर्वत एम जमाल]]
* [[अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया / सर्वत एम जमाल]]
* [[लिखते हैं, दरबानी पर भी लिक्खेंगे / सर्वत एम जमाल]]
* [[कितने दिन, चार, आठ, दस, फिर बस / सर्वत एम जमाल]]
* [[क्या हम इस बात पर गुमान करें / सर्वत एम जमाल]]
* [[पैदा जब अपनी फ़ौज में गद्दार हो गए / सर्वत एम जमाल]]