साँचा:घनश्याम हमारी आँखों में / शिवदीन राम जोशी
{{KKRachana |रचनाकार =शिवदीन राम जोशी साँचा:KKRajasthan
घनश्याम हमारी आंखों में, हम आंखें में घनश्याम के हैं।
सरकार हमारे हो तुम तो, हम दास बने बिन दाम के हैं।।
घनश्याम...
हम तो चरणों के चाकर हैं, तुम मालिक तन मन धन के हो।
सर्वस्व तुम्हारे अर्पण है, हम आशिक तेरे नाम के है।।
घनश्याम...
दुनियां के तुफानों से न डरें, न हटेंगे तेरे इन कदमों से।
इन कदमों पर बलिहारी हुए, वाकिफ न और अंजाम के है।।
घनश्याम...
पल भर न जुदा तुम हो हम से, और हम न जुदा तुम से होंगे।
यह प्रकट प्रेम रहे अन्दर में, ना ग्राहक धन अरु धाम के हैं।।
घनश्याम...
शिवदीन सहारे तेरे हम, और दुनियां से मतलब क्या है।
दुनियां न हमारे काम की है, न हम दुनियां के काम के है।।
घनश्याम...