भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
  
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000">
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000">
मज़दूर का जन्म</div>
+
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम</div>
  
 
<div>
 
<div>
रचनाकार: [[केदारनाथ अग्रवाल]]
+
रचनाकार: [[शलभ श्रीराम सिंह]]
 
</div>
 
</div>
  
 
<poem>
 
<poem>
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
 
+
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
हाथी सा बलवान,
+
घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
        जहाजी हाथों वाला और हुआ !
+
जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
सूरज-सा इंसान,
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
        तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
+
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
+
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हों शान से
 
+
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
माता रही विचारः
+
वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हम
        अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
+
हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिए
दादा रहे निहारः
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
        सबेरा करनेवाला और हुआ !!
+
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
 
+
जनता रही पुकारः
+
        सलामत लानेवाला और हुआ !
+
सुन ले री सरकार!
+
        कयामत ढानेवाला और हुआ !!
+
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
 
</poem>
 
</poem>
 
</div></div>
 
</div></div>

00:26, 6 अक्टूबर 2013 का अवतरण

नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम

नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हों शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब