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"सात छेद वाली मैं (ताँका-संग्रह) / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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'[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ (2011) ताँका का स्वतन्त्र संग्रह है।  हिन्दी राइटर्स गिल्ड की मासिक गोष्ठी दिसम्बर ११, २०११(रविवार) को दोपहर के बाद २ बजे ब्रैम्पटन लाइब्रेरी(कैनेडा) की चिंक्गूज़ी ब्रांच में बेसमेंट के सभागार में  डॉ. सुधा गुप्ता की "चोका" पुस्तक "ओक भर किरनें" ,ताँका पुस्तक '[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ का लोकार्पण [[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु']] द्वारा किया गया। कार्यक्रम में हिन्दी चोका की इस प्रथम पुस्तक के लोकार्पण के बाद [[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'|श्री हिमांशु जी]] ने थोड़ी चर्चा के बाद इसी पुस्तक के पीले गुलाब , रैन बसेरा और सगुन -पाखी चोका का पाठ किया।
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'[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ (2011) ताँका का स्वतन्त्र संग्रह है।   
* शब्द-चयन और प्रस्तुति की उत्कृष्टता तो गागर में सागर भरने जैसी है
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डॉ. सुधा गुप्ता की चोका पुस्तक "[[ओक भर किरनें / सुधा गुप्ता|ओक भर किरनें]]" तथा ताँका पुस्तक '[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ का लोकार्पण ब्रैम्पटन लाइब्रेरी (कैनेडा) में किया गया।
* सुधा जी जब लिखती हैं तो मानो भावों का दरिया बहने लगता है और पढ़ने वाला बहता चला जाता है ...
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इसमें इनके 153 ताँका संगृहीत हैं ।
* सभी हाइकु एक से बढ़कर एक हैं ....
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पुस्तक को सात अध्यायों में बाँधा गया है -नीराजना,, बाँसुरी अष्टक,राधिका और कान्हा,प्रकृति और परी, शैशव और सपने,दु:ख मेरे अपने, सच से मुठभेड़ ।
* पाठक की तो पढ़ते समय आँखें खुली की खुली और होंठ सिल जाते हैं जब आपको पढ़ते हैं !
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‘प्रकृति -परी’ और ‘सच से मुठभेड़’ दोनों अध्याय बड़े हैं । इनमें क्रमश 48 और 40 ताँका हैं ।
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15:24, 4 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण

'सात छेद वाली मैं ’ (2011) ताँका का स्वतन्त्र संग्रह है।
डॉ. सुधा गुप्ता की चोका पुस्तक "ओक भर किरनें" तथा ताँका पुस्तक 'सात छेद वाली मैं ’ का लोकार्पण ब्रैम्पटन लाइब्रेरी (कैनेडा) में किया गया।
इसमें इनके 153 ताँका संगृहीत हैं ।
पुस्तक को सात अध्यायों में बाँधा गया है -नीराजना,, बाँसुरी अष्टक,राधिका और कान्हा,प्रकृति और परी, शैशव और सपने,दु:ख मेरे अपने, सच से मुठभेड़ ।
‘प्रकृति -परी’ और ‘सच से मुठभेड़’ दोनों अध्याय बड़े हैं । इनमें क्रमश 48 और 40 ताँका हैं ।

सात छेद वाली मैं की समीक्षा गद्यकोश पर