भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साथ के क़ैदी को सलाह / नाज़िम हिक़मत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सिर्फ़ इसलिए कि तुमने अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ीं
दुनिया की, मुल्क की, आदमी की, बेहतरी की,
वे तुम्हें फाँसी पर लटका देते हैं,
या जेल में डाल देते हैं,
दस बरस के लिए, पन्द्रह बरस के लिए
या बेफ़िक्र हो, उससे ज़्यादा के लिए ।

कभी मत कहो,
’चाहता हूँ झूल जाना
रस्सी के छोर से एक परचम की तरह ।’
तुम्हें जीते चलना है,
शायद, अब जीने में कोई मज़ा नहीं,
किन्तु यह तुम्हारा कर्त्तव्य है,
शत्रु से नफ़रत करो
एक दिन और जीओ ।

जेल में तुम्हारा एक अंश — यह ठीक है — अकेला है,
कुएँ के तल में पड़े किसी पत्थर की तरह
लेकिन तुम्हारा दूसरा अंश
दुनिया की भीड़ में इस तरह घुले-मिले,
काँप उठो जेल के अन्दर तुम,
हर सरसर करती हुई पत्ती क्वे साथ, जो तुमसे चालीस दिन दूर है,
वैसे तो यह मधुर लगता है, किन्तु ख़तरे से ख़ाली भी नहीं
ख़तों की राह देखते रहना
दर्दीले गीत गाना
सुबह तक आँखों में रातें बिता देना
रात भर छत देखते रहना
दाढ़ी घोट चेहरे को देखा करो
उम्र अपनी भूल जाओ
चीलरों से बचे रहो,

बसन्त की सर्द शाम से सावधान रहो
और कभी मत भूलो
कैसे रोटी का आख़िरी लुक़ुमा तक खाना है,
और कैसे दिल खोल हँसना है ।

और कौन जाने,
हो सकता है तुम्हारी प्रिया, अब तुम्हें प्यार करती ही नहीं,
मत कहो यह छोटी बात है ।

किसी क़ैदी के लिए :
पेड़ की फूटती काँछी तोड़ लेने-सी बात है,
बुरा है, गुलाब और बाग़ का सपना देखते जाना;

और यह अच्छा हो कि अपना ध्यान पहाड़ों, समुद्रों पर केन्द्रित करो
तुम्हें ये मेरी सलाह है —
दिन-रात पढ़ो-लिखो
बुनाई का काम सीखो,
आइने में भविष्य पढ़ो ।

इस तरह कुछ भी असम्भव नहीं
जेल की कोठरी में दस साल, पन्द्रह साल,
इससे भी अधिक समय,
बिता देना — यह बात सम्भव है,
हाँ, शर्त यह है कि छाती की बाईं ओर
वह क़ीमती हीरा —
दिल का वह हीरा चमकता रहे ।


अँग्रेज़ी से अनुवाद : चन्द्रबली सिंह