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"साथ हरदम भी बेनक़ाब नहीं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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साथ हरदम भी बेनक़ाब नहीं | साथ हरदम भी बेनक़ाब नहीं | ||
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कैसे फिर से शुरू करें इसको | कैसे फिर से शुरू करें इसको | ||
ज़िन्दगी है कोई किताब नहीं | ज़िन्दगी है कोई किताब नहीं | ||
− | क्यों | + | क्यों दिये पाँव उसके कूचे में |
नाज़ उठाने की थी जो ताब नहीं | नाज़ उठाने की थी जो ताब नहीं | ||
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मुस्कुराने की बस है आदत भर | मुस्कुराने की बस है आदत भर | ||
− | अब इन आँखों में कोई | + | अब इन आँखों में कोई ख़्वाब नहीं |
मेरे शेरों में ज़िन्दगी है मेरी | मेरे शेरों में ज़िन्दगी है मेरी | ||
कभी सूखें, ये वो गुलाब नहीं | कभी सूखें, ये वो गुलाब नहीं | ||
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01:22, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
साथ हरदम भी बेनक़ाब नहीं
ख़ूब पर्दा है यह! जवाब नहीं
कैसे फिर से शुरू करें इसको
ज़िन्दगी है कोई किताब नहीं
क्यों दिये पाँव उसके कूचे में
नाज़ उठाने की थी जो ताब नहीं
आपने की इनायतें तो बहुत
ग़म भी इतने दिए, हिसाब नहीं
मुस्कुराने की बस है आदत भर
अब इन आँखों में कोई ख़्वाब नहीं
मेरे शेरों में ज़िन्दगी है मेरी
कभी सूखें, ये वो गुलाब नहीं