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"सारी दुनिया पे कहर ढा देना / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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21:43, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
सारी दुनिया पे कहर ढा देना
ख़ूब था तेरा मुस्कुरा देना
सैंकडों छेद हैं इसमें मालिक!
अब ये प्याला ही दूसरा देना
हुक्म हाकिम का है --' किताबों से
प्यार के लफ्ज़ को हटा देना'
तुमने नज़रें तो फेर लीं हमसे
दिल से मुश्किल था पर भुला देना
आख़िरी वक्त देख तो लें गुलाब
रुख़ से परदा ज़रा हटा देना