भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिन्दुरी सड़कों की यात्रा / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:33, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल }} <poem>...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्षितिज के मौन वक्र में
दहका नहीं अभी
सिन्दूरी सड़कों का यात्री
फिर भी ओस-अटी धूप में
बस्तों के पहाड़ उठाए
चलते हैं
करोड़ों कमज़ोर बच्चे

आज :
भागम-भाग के शहर को अलविदा कह
जंगल के आषाढ़ॆए पत्तों से बतिया
मलहार के रिमझिम स्वरों में
भोजते-सीजते
अपना आदिम मनुष्य
तलाशा है हमने।