भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीता के देखि देखि झखथि जनक ऋषि मोती जकां झहरनि नोर / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:48, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सीता के देखि देखि झखथि जनक ऋषि मोती जकां झहरनि नोर
सीता जुगुत वर कतऽ भेटत, ओतहि सऽ लायब जमाय यो
सीता जुगुत वर अवधपुर भेटत, ओतहि सऽ लाउ जमाय यो
राजा दशरथ् जी के चारि बालक छनि, एक श्यामल तीन गोर यो
गोरहि देखि नहि भूलबै यो बाबा, श्यामल के मुकुट चढ़ायब यो
देशहि देश केर वीरलोक आओल, सभ छूबि चलि गेल यो
वशिष्ठ मुनि संग आए दुइ बालक, धनुष देखि करय उतफाल यो
जखनहि रामचन्द्र धनुष उठाओल, सीया गले डालू जयमाल यो
जखनहि उठाओल मचि गेल जय जयकार यो