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"सीधी राह मुझे चलने दो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर

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21:59, 18 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

सीधी राह मुझे चलने दो|
अपने ही जीवन फलने दो।

जो उत्पात, घात आए हैं,
और निम्न मुझको लाए हैं,
अपने ही उत्ताप बुरे फल,
उठे फफोलों से गलने दो।

जहाँ चिन्त्य हैं जीवन के क्षण,
कहाँ निरामयता, संचेतन?
अपने रोग, भोग से रहकर,
निर्यातन के कर मलने दो।

रचनाकाल=7 दिसम्बर, 1952