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सुख-दुख / छाया त्रिपाठी ओझा

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क्योंकर इनसे है घबराना
सुख-दुख साथ पला करते हैं।
साथी हैं ये जीवन पथ के
मिलकर साथ चला करते हैं।

संघर्षों के भय से प्यारे
यूं हम भाग नहीं सकते
और भाग्य से पग-पग पर हम
खुशियां मांग नहीं सकते
केवल मीठे फल ही सारे
तरुअर नहीं फला करते हैं।
साथी हैं ये जीवन पथ के
मिलकर साथ चला करते हैं।

भले ज़माना हृदय तोड़ दे
मगर न रखना कुछ मन में
त्याग अयोध्या संग सीता के
फिरे राम भी, वन-वन में
बन मारीच सदा अपने ही
अक्सर हमें छला करते हैं।
साथी हैं ये जीवन पथ के
मिलकर साथ चला करते हैं।

ओढ़ निराशा मुंह लटकाए
बैठा करते नही कभी
कष्ट हमारा हमीं हरेंगे
दूजे हरते नहीं कभी
आशाओं के दीप नयन में
बुझते नहीं जला करते हैं।
साथी हैं ये जीवन पथ के
मिलकर साथ चला करते हैं।