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"सुधि मोरी कहे बिसराई नाथ / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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अपने को  अपना  कर  राखो  कबहु  न  छाड़ो  हाथ।
 
अपने को  अपना  कर  राखो  कबहु  न  छाड़ो  हाथ।
 
शिवदीन  तुम्हारा  गुण  नित  गावे  ऊठत  ही  परभात।।
 
शिवदीन  तुम्हारा  गुण  नित  गावे  ऊठत  ही  परभात।।
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11:26, 30 मई 2012 के समय का अवतरण

सुधि मोरी काहे बिसराई नाथ।
बहुत भये दिन तड़फत हमको तड़फ तड़फ तड़फात।
अब तो आन उबारो नैया अपने कर गहो हाथ।।
अवगुन हम में सब गुन तुम में फिर काहे ठुकरात।
हम जो पूत कपूत हैं तेरे तुम हमरे पितु मात।।
नयन नीर भर आये हमरे बरसा ज्यों बरसात।
तुम बिन हमरी कौन खबर ले दिन सब बिते जात।।
अपने को अपना कर राखो कबहु न छाड़ो हाथ।
शिवदीन तुम्हारा गुण नित गावे ऊठत ही परभात।।