"सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'" के अवतरणों में अंतर
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− | ज़ीना सबा का ढूँढती है अपनी मुश्त-ए-ख़ाक | + | ज़ीना सबा का ढूँढती है अपनी मुश्त-ए-ख़ाक |
− | बाम-ए-बलन्द यार का है आस्ताना क्या | + | बाम-ए-बलन्द यार का है आस्ताना क्या |
− | ज़ेरे ज़मीं से आता है गुल हर सू ज़र-ए-बकफ़ | + | ज़ेरे ज़मीं से आता है गुल हर सू ज़र-ए-बकफ़ |
− | क़ारूँ ने रास्ते में लुटाया खज़ाना क्या | + | क़ारूँ ने रास्ते में लुटाया खज़ाना क्या |
− | चारों तरफ़ से सूरत-ए-जानाँ हो जलवागर | + | चारों तरफ़ से सूरत-ए-जानाँ हो जलवागर |
− | दिल साफ़ हो तेरा तो है आईना खाना क्या | + | दिल साफ़ हो तेरा तो है आईना खाना क्या |
− | तिब्ल-ओ-अलम न पास है अपने न मुल्क-ओ-माल | + | तिब्ल-ओ-अलम न पास है अपने न मुल्क-ओ-माल |
− | हम से खिलाफ़ हो के करेगा ज़माना क्या | + | हम से खिलाफ़ हो के करेगा ज़माना क्या |
− | आती है किस तरह मेरी क़ब्ज़-ए-रूह को | + | आती है किस तरह मेरी क़ब्ज़-ए-रूह को |
− | देखूँ तो मौत ढूँढ रही है बहाना क्या | + | देखूँ तो मौत ढूँढ रही है बहाना क्या |
− | तिरछी निगाह से ताइर-ए-दिल हो चुका शिकार | + | तिरछी निगाह से ताइर-ए-दिल हो चुका शिकार |
− | जब तीर कज पड़ेगा उड़ेगा निशाना क्या? | + | जब तीर कज पड़ेगा उड़ेगा निशाना क्या? |
− | बेताब है कमाल हमारा दिल-ए-अज़ीम | + | बेताब है कमाल हमारा दिल-ए-अज़ीम |
− | महमाँ साराय-ए-जिस्म का होगा रवाना क्या | + | महमाँ साराय-ए-जिस्म का होगा रवाना क्या |
− | यूँ मुद्दई हसद से न दे दाद तू न दे | + | यूँ मुद्दई हसद से न दे दाद तू न दे |
आतिश ग़ज़ल ये तूने कही आशिक़ाना क्या? | आतिश ग़ज़ल ये तूने कही आशिक़ाना क्या? | ||
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23:08, 23 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
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सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या
केहती है तुझको खल्क़-ए-खुदा ग़ाएबाना क्या
ज़ीना सबा का ढूँढती है अपनी मुश्त-ए-ख़ाक
बाम-ए-बलन्द यार का है आस्ताना क्या
ज़ेरे ज़मीं से आता है गुल हर सू ज़र-ए-बकफ़
क़ारूँ ने रास्ते में लुटाया खज़ाना क्या
चारों तरफ़ से सूरत-ए-जानाँ हो जलवागर
दिल साफ़ हो तेरा तो है आईना खाना क्या
तिब्ल-ओ-अलम न पास है अपने न मुल्क-ओ-माल
हम से खिलाफ़ हो के करेगा ज़माना क्या
आती है किस तरह मेरी क़ब्ज़-ए-रूह को
देखूँ तो मौत ढूँढ रही है बहाना क्या
तिरछी निगाह से ताइर-ए-दिल हो चुका शिकार
जब तीर कज पड़ेगा उड़ेगा निशाना क्या?
बेताब है कमाल हमारा दिल-ए-अज़ीम
महमाँ साराय-ए-जिस्म का होगा रवाना क्या
यूँ मुद्दई हसद से न दे दाद तू न दे
आतिश ग़ज़ल ये तूने कही आशिक़ाना क्या?