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"सुरा पी थी मैंने दिन चार / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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सुरा पी थी मैंने दिन चार | सुरा पी थी मैंने दिन चार | ||
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उठा था इतने से ही ऊब, | उठा था इतने से ही ऊब, | ||
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नहीं रुचि ऐसी मुझको प्राप्त | नहीं रुचि ऐसी मुझको प्राप्त | ||
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सकूँ सब दिन मधुता में डूब, | सकूँ सब दिन मधुता में डूब, | ||
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− | + | लिया उसका आकर्षण मान, | |
− | + | मगर उसका भी करके पान | |
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20:02, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
सुरा पी थी मैंने दिन चार
उठा था इतने से ही ऊब,
नहीं रुचि ऐसी मुझको प्राप्त
सकूँ सब दिन मधुता में डूब,
हलाहल से की है पहचान,
लिया उसका आकर्षण मान,
मगर उसका भी करके पान
चाहता हूँ मैं जीवन-दान!