भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सूरज चाटी आं धोरां री / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
उकळै माटी आं धोरां री
 
उकळै माटी आं धोरां री
  
सड़कां माथै चाली छोरी कैवै
+
सड़क चाली छोरी बतावै
 
दौरी घाटी आं धोरां री
 
दौरी घाटी आं धोरां री
  
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
बांधै पाटी आं धोरां री
 
बांधै पाटी आं धोरां री
  
तिरसो एक मिरगलो मरग्यो
+
तड़ाछ खा पड़्‌यो हिरण एक
 
आंख्यां फाटी आं धोरां री
 
आंख्यां फाटी आं धोरां री
  
 
बूंद पड़ै पसवाड़ो फोरै
 
बूंद पड़ै पसवाड़ो फोरै
 
मुळकै माटी आं धोरां री</poem>
 
मुळकै माटी आं धोरां री</poem>

20:26, 16 अक्टूबर 2011 का अवतरण

कविता: सूरज चाटी आं धोरां री/सांवर दइया------

सूरज-चाटी आं धोरां री
उकळै माटी आं धोरां री

सड़क चाली छोरी बतावै
दौरी घाटी आं धोरां री

धोरां बिच्चै घायल जात्री
बांधै पाटी आं धोरां री

तड़ाछ खा पड़्‌यो हिरण एक
आंख्यां फाटी आं धोरां री

बूंद पड़ै पसवाड़ो फोरै
मुळकै माटी आं धोरां री