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सोन चिरैया / ज्योत्स्ना शर्मा

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सोन चिरैया
जब भी तुम गाओ
मीठा ही गाओ
जो तुम मेरी मानो
नीड़ बनाओ
तिनका चुनकर
खुद ही लाओ
शेष अभी कहना-
छीन घरौंदा
कभी किसी पंछी का
नहीं सताओ
जीवन मंत्र यही-
मिट जाते हैं
बदनाम परिंदे
मान भी जाओ
सखि, जीवन जी लो
अमृत बाँटो, पी लो !!