भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्पर्श / मीना चोपड़ा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:56, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीना चोपड़ा |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> यहीं से उठता है …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यहीं से उठता है
 वह नगाड़ा
 वह शोर
  वह नाद

 

जो हिला देता है
        पत्थरों को
         झरनों को
          आकाश को
   वही सब जो मुझमें
            धरा है ।
       सिर्फ़ नहीं है
     तो एक स्पर्श
 जहाँ से

यह सब
उठता है!