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स्यात थूं मुळकै / सतीश छींपा

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आज रात भोत सुहावणी सी है
बायरियो बाजै
मुळकती सी धरती
होय रैयी है खांगी सी
पंखेरू नीं है अणमणा
दरखत जतावै आपरी खुसी
पानड़ा खिंड़ा-खिंड़ा’र
स्यात
थूं मुळकण लाग रैयी है.....