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हंस से बोली व्याकुल मीन / सुमित्रानंदन पंत

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हंस से बोली व्याकुल मीन
करुणतर कातर स्वर में क्षीण,
‘बंधु, क्या सुन्दर हो’ प्रतिवार
लौट आए जो बहती धार!’
हंस बोला, ‘हमको कल व्याध
भून डालेगा, तब क्या साध?
सूख जाए; बह जाए धार
बने अथवा बिगड़े संसार!’