भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हप्प मिठाई / देवेंद्रकुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अरे!
अभी रखी थी
यहाँ मिठाई,
गई मिठाई!
सच-सच बोलो
किसने खाई,
वरना होगी
बहुत पिटाई।
रामू चुप है
चुप है हीरा,
नहीं बोलती
कुछ भी मीरा।
गप्प मिठाई,
हप्प मिठाई!
जो करना है
कर लो भाई,
क्या बोलेगी
हजम मिठाई!
ऐसे मुँह में
गई मिठाई!
अब तो लाओ
और मिठाई।