भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमलावर शेरों को चिंता में डाला है / ऋषभ देव शर्मा

Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:01, 2 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem>ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमलावर शेरों को चिंता में डाला है
हिरनी की आँखों में प्रतिशोधी ज्वाला है

सागर में ज्वार उठें, लहरें तेवर बदलें
अवतरित हो रही जो, यह जागृति-बाला है

पृष्ठों पर आग छपी, सनसनी हाशियों पर
अख़बारों ने संध्या-संस्करण निकाला है

सदियों ने बहुत सहा शूली चढ़ता ईसा
हाथों में कील ठुकी, होठों पर ताला है

सड़कों पर उतरी है सुकराती-भीड़ यहाँ
मीरा-प्रह्लादों को प्यारा यह प्याला है