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"हमसे किसी का प्यार छिपाया न जाएगा / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
 
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हमसे किसी का प्यार छिपाया न जाएगा
 
इतना हसीन बोझ उठाया न जाएगा
 
 
मेंहदी लगी हुई है उमंगों के पाँव में
 
सपने में भी तो आपसे आया न जाएगा
 
 
लय-ताल टूट जाते हैं आते ही उनका नाम
 
जीवन का गीत हमसे तो गाया न जाएगा
 
 
हँसने की बात और थी, रोने की बात और
 
पत्थर के दिल में फूल खिलाया न जाएगा
 
 
यों तो किसी के मन से उतारे हुए हैं हम
 
आयेंगे याद फिर तो भुलाया न जाएगा
 
 
लहरा रहे हैं आपकी आँखों में अब गुलाब
 
काँटों से ज़िन्दगी को बचाया न जाएगा
 
 
<poem>
 

02:36, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण