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{{KKRachna
|रचनाकार= जॉन एलिया
}}<poem>{{KKVID|v=vw4WBiCdOms}}[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
हमारे शौक के आंसू दो, खुशहाल होने तक
तुम्हारे आरज़ू केसो का सौदा हो चुका होगा
है निस-ए-शब वो दिवाना अभी तक घर नहीं आया
किसी से चन्दनी रातों का किस्सा छिड़ गया होगा
 
 
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