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"हमें ये खाली खाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती / संदीप ‘सरस’" के अवतरणों में अंतर
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22:23, 27 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
हमें ये खाली खाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
हमेशा ही सवाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
हमारा हक़ हमे दे दो या सब कुछ छीन लो हमसे,
हमें ये बीच वाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
कभी इस द्वार बैठी तो कभी उस द्वार जा बैठी,
हमें हरगिज हलाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
किसी माँ का पतीली में जरा सी कंकड़ी भरकर,
छलावे से उबाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
कभी घर से निकल के दर्द साझा हो पड़ोसी का,
सदा गूगल खंगाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
नसीहत आप ही रक्खें हमें संघर्ष करने दें,
हमेशा पाठशाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।
सफर पर पांव तो निकले कोई ठोकर भी लगने दो,
दुआओं से सम्हाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती
उजाला भीख में पाकर मिटायें क्यों अँधेरों को,
हमें ऐसी उजाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती।