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हम के ए दिल सुखन सरापा थे / जॉन एलिया

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हम के ए दिल सुखन सरापा थे
हम लबो पे नहीं रहे आबाद

जाने क्या वाकया हुआ
क्यू लोग अपने अन्दर नहीं रहे आबाद

शहर-ए-दिन मे अज्ब मुहल्ले थे
उनमें अक्सर नहीं रहे आबाद