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हम मुहब्बत में ढील देते हैं / सर्वत एम जमाल

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हम मुहब्बत में ढील देते हैं
दुश्मनी हो तो छील देते हैं

किसकी मंज़िल है कितनी दूर अभी
यह पता संगे-मील देते हैं

आज इन्साफ़ के पुजारी भी
क़ातिलों को वकील देते हैं

कौन ईमानदार है अब तो
यह सनद भी ज़लील देते हैं

आइना बेज़ुबान होता है
जब कि चेहरे दलील देते हैं