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"हम सब माया-मृग हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हम सब माया-मृग हैं  
 
हम सब माया-मृग हैं  
हम सभी ने ऊपर से सोने की छालें ओढ़ रखी है,
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हम सभीने ऊपर से सोने की छालें ओढ़ रखी हैं,
 
बस मुखौटे अलग-अलग हैं.
 
बस मुखौटे अलग-अलग हैं.
 
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02:34, 17 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


हम सब माया-मृग हैं
हम सभीने ऊपर से सोने की छालें ओढ़ रखी हैं,
बस मुखौटे अलग-अलग हैं.