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"हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
 
  
हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम
 
करवट ही ज़िन्दगी में बदलते रहे हैं हम
 
 
जाना किधर है, आये कहाँ से, पता नहीं
 
कोई चलाये जा रहा, चलते रहे हैं हम
 
 
ऐसे तो हमको आपने देखा न था कभी
 
हर बार इस गली से निकलते रहे हैं हम
 
 
हरदम किसी के पाँव की आहट सुना किये
 
गिर-गिरके ज़िन्दगी में सँभलते रहे हैं हम
 
 
देखे जो कोई रंग हैं सौ-सौ गुलाब में
 
मौसम के साथ-साथ बदलते रहे हैं हम
 
 
<poem>
 

00:17, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण