भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास / रैदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रैदास }} <poem>।। राग मल्हार।। हरि जपत तेऊ जना पदम क...)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:52, 17 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

।। राग मल्हार।।
  
हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास पति तास समतुलि नहीं आन कोऊ।
एक ही एक अनेक होइ बिसथरिओ आन रे आन भरपूरि सोऊ।। टेक।।
जा कै भागवतु लेखी ऐ अवरु नहीं पेखीऐ तास की जाति आछोप छीपा।
बिआस महि लेखी ऐ सनक महि पेखी ऐ नाम की नामना सपत दीपा।।१।।
जा कै ईदि बकरीदि कुल गऊ रे वधु करहि मानी अहि सेख सहीद पीरा।
जा कै बाप वैसी करी पूत ऐसी सरी तिहू रे लोक परसिध कबीरा।।२।।
जा के कुटंब के ढेढ सभ ढोर ढोवंत फिरहि अजहु बंनारसी आस पासा।
आचार सहित विप्र करहि डंडउति तिन तनै रविदास दासानुदासा।।३।।