भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हर आने वाली मुसीबत / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसकी गतिविधियाँ
असामान्य होती हैं
दूर से पहचानना
बहुत मुश्किल होता है
या तो वह कोई बाढ़ होती है
या तो कोई तूफ़ान
या फिर अचानक आई गन्ध

वह अपने आप
अपना द्वार खोलती है और
बिना इज़ाज़त प्रवेश कर जाती है

फिर भागते रहो
घंटों छुपते रहो इससे
जब तक वह दूर नहीं चली जाती
हमारे मन से

बचा रह जाता है
उसके दुबारा लौट आने का भय ।