भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हर रास्ते की मंज़िल है / सोलोमन ओचवो-ओबुरु / राजेश चन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सोलोमन ओचवो-ओबुरु |अनुवादक=राजेश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 26: पंक्ति 26:
 
'''लीजिए, अब मूल अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़िए'''
 
'''लीजिए, अब मूल अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़िए'''
 
       Solomon Ochwo-Oburu
 
       Solomon Ochwo-Oburu
       Cock in Maternity Ward
+
        Every way has an end
  
 +
every way
 +
has
 +
an end
 +
 +
today,
 +
tomorrow
 +
it comes
 +
 +
for those
 +
asleep on their way
 +
there is
 +
no end of any way
 
</poem>
 
</poem>

10:27, 28 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण

हर रास्ता
कहीं तो
पहुँचता ही है

आज नहीं
तो कल
यह होगा ज़रूर

वे जो
अपने रास्तों में
सोए पड़े हैं
उनके लिए
कोई भी रास्ता
नहीं पहुँचता कहीं

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र

लीजिए, अब मूल अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़िए
       Solomon Ochwo-Oburu
        Every way has an end

every way
has
an end

today,
tomorrow
it comes

for those
asleep on their way
there is
no end of any way