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हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं मेरी आँखों से/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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लेखन वर्ष: २००३
हल्के-हल्के आँसू टूटे हैं मेरी आँखों से
अब बात नहीं बनती है तेरी यादों से
बोल तुझे इक हर्फ़ में कैसे लिख दूँ
तस्वीर नहीं बनती है कभी हर्फ़ों से
हर्फ़= शब्द