भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हवाए-तुन्द में ठहरा न आशियाँ अपना / यगाना चंगेज़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
हवा-
+
 
ए-तुन्द में<ref>तेज़ हवा में</ref> ठहरा न आशियाँ अपना।
+
 
 +
हवा-ए-तुन्द में<ref>तेज़ हवा में</ref> ठहरा न आशियाँ अपना।
  
 
चराग़ जल न सका ज़ेरे आस्माँ अपना॥
 
चराग़ जल न सका ज़ेरे आस्माँ अपना॥
  
  
जरसने<ref>यात्री दल के ऊँटॊं की घंटी की आवाज़ ने</ref> मुज़द-ए-मंज़िल<ref>यात्रा का अंत होने की ख़ुशखबरी</ref> सुना के चौंकाया।
+
जरसने<ref>यात्री दल के ऊँटों की घंटी की आवाज़ ने</ref> मुज़द-ए-मंज़िल<ref>यात्रा का अंत होने की ख़ुशखबरी</ref> सुना के चौंकाया।
  
 
निकल चला था दबे पाँव कारवाँ अपना॥
 
निकल चला था दबे पाँव कारवाँ अपना॥
  
  
 +
ख़ुदा किसी को भी यह ख़्वाबेबद न दिखलाए।
 +
 +
क़फ़स के सामने जलता है आशियाँ अपना॥
  
  

14:26, 11 जुलाई 2009 का अवतरण


हवा-ए-तुन्द में<ref>तेज़ हवा में</ref> ठहरा न आशियाँ अपना।

चराग़ जल न सका ज़ेरे आस्माँ अपना॥


जरसने<ref>यात्री दल के ऊँटों की घंटी की आवाज़ ने</ref> मुज़द-ए-मंज़िल<ref>यात्रा का अंत होने की ख़ुशखबरी</ref> सुना के चौंकाया।

निकल चला था दबे पाँव कारवाँ अपना॥


ख़ुदा किसी को भी यह ख़्वाबेबद न दिखलाए।

क़फ़स के सामने जलता है आशियाँ अपना॥



शब्दार्थ
<references/>