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हवा आएगी, खिड़कियां खोलो तो सही / सांवर दइया

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हवा आएगी, खिड़कियां खोलो तो सही।
आवाज असर दिखायेगी, बोलो तो सही!

क्या मजाल जो रोक ले बदचलन मौसम,
नाप लोगे आकाश, पंख खोलो तो सही!

लड़े बिना ही हार मानते आये अब तक,
अपने बाजुओं की ताक़त तोलो तो सही।

जुल्म की हवेलियां ढह जायेंगी खुद-ब-खुद
एक बार तूफान बनकर डोलो तो सही!

एक नहीं लाखों देंगे साथ तुम्हारा,
अपने भीतर जरा खुशबू घोलो तो सही!