भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवा / अब्बास कियारोस्तमी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:18, 3 अक्टूबर 2023 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवा

पुराने किवाड़ को
खोलती है

और
बन्द
करती है

ज़ोर-ज़ोर से
दस बार

हिन्दी में अनुवाद : असद ज़ैदी