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हसीन गलयिां / अमलेन्दु अस्थाना

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सोचना मत, सोचना मत, आईना मत देखना,
अपने अंदर बचाये रखना कुछ हसीन गलियां,
कुछ युवा रास्ते,
कुछ पलास, अमलतास के फूल,
बेली,चमेली, रात रानी की खुशबू,
जब भी कोई कहे दिखने लगे हो बुड्ढे,
इन हसीन गलियों में उतरना,
चुपचाप टहलना युवा रास्तों पर,
चुन लाना पलास-अमलतास के फूल,
समेट आना बेली, चमेली, रात रानी की खुशबू,
देखना, खुशबू से महकने लगोगे तुम,
चमकने, दमकने लगोगे तुम,
सच तब मिट जाएंगी तुम्हारी झुर्रियां,
तब देखना आईना,
और बोलने वालों को दिखा भ देना।।