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हाइकु-1 / भावना कुँअर

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1
मासूम लता
चीर हरण पर
सुबके- रोए
2
सजी तितली
मिलन आंकाक्षा से
लूटा हवा ने।
3
कोमल पात
लौ सरीखी धूप में
मोम -से ढले।
4
हिरणी आँखें
चंचलता से भरी
तुझे पुकारें।
5
छुआ तरु ने
कसमसाई लता
लिपट गई।
6
आज तो धूप
खोई रही ख्वाबों में
जगी ही नहीं।
7
मुख पे तेरे
चाँदनी की ओढ़नी
चाँद की नथ।
8
पिहू- पुकारे
विरहिणी- सी पिकी
पिया न आए।

9
वृक्ष की लटें
सँवार रही हवा
बड़े प्यार से।
10
रात रानी ने
खोले जब कुन्तल
बिखरा इत्र।
11
बैठे हैं तरु
पहने हुए शाल
लता रानी का।
12
भटका मन
गुलमोहर -वन
बन हिरन।