भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाइकु-2 / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }} १- मंड़प बैठी,<br> सर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }}  
 
{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }}  
 
+
१-मंड़प बैठी,<br>
१- मंड़प बैठी,<br>
+
सरसों गदराई<br>
  सरसों गदराई<br>
+
धरा सिमटी। <br><br>
  धरा सिमटी। <br><br>
+
२-लिपटी कहीं,<br>
 
+
महकी कहीं और,<br>
  २-   लिपटी कहीं,<br>
+
रोया था पेड़ । <br><br>
        महकी कहीं और,<br>
+
३-झूठे वचन,<br>
        रोया था पेड़ । <br><br>
+
अर्चनाएं बेकार,<br>
 
+
मन में यार।<br> <br>
  ३-   झूठे वचन,<br>
+
४- नशा प्यार का,<br>
        अर्चनाएं बेकार,<br>
+
ममत्व का हनन,<br>
        मन में यार।<br> <br>
+
बच्चे अनाथ। <br><br>
 
+
५-प्रेयसी हंसी,<br>
    ४- नशा प्यार का,<br>
+
गुलमोहर लाल,<br>
        ममत्व का हनन,<br>
+
पत्नी उदास । <br><br>
        बच्चे अनाथ। <br><br>
+
६-अकेलापन,<br>
 
+
संवेदनाएं बर्फ,<br>
    ५- प्रेयसी हंसी,<br>
+
तपस्या भंग | <br><br>
        गुलमोहर लाल,<br>
+
        पत्नी उदास । <br><br>
+
 
+
    ६- अकेलापन,<br>
+
        संवेदनाएं बर्फ,<br>
+
        तपस्या भंग | <br><br>
+
 
<poem>
 
<poem>

22:50, 7 दिसम्बर 2011 का अवतरण

१-मंड़प बैठी,
सरसों गदराई
धरा सिमटी।

२-लिपटी कहीं,
महकी कहीं और,
रोया था पेड़ ।

३-झूठे वचन,
अर्चनाएं बेकार,
मन में यार।

४- नशा प्यार का,
ममत्व का हनन,
बच्चे अनाथ।

५-प्रेयसी हंसी,
गुलमोहर लाल,
पत्नी उदास ।

६-अकेलापन,
संवेदनाएं बर्फ,
तपस्या भंग |