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"हाइकु / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=भावना कुँअर
 
|रचनाकार=भावना कुँअर
|संग्रह=हाइकू 2009 / गोपालदास "नीरज"
+
|संग्रह=हाइकु 2009 /
 
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[[Category:हाइकु]]
 
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<poem>
 
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1
 
1
चाहो अगर
+
दुल्हन झील
छूना आसमान को
+
तारों की चूनर से
फैलाओ पंख
+
घूँघट काढ़े ।
 
2
 
2
शाम के वक्त
+
लेटी थी धूप
लौटते हैं पंछी भी
+
सागर तट पर
आशियाने में
+
प्यास बुझाने !
 
3
 
3
 
+
लिये बैठी
सिसक रहे
+
गुलाब की पाँखुरी
हरे भरे वृक्ष भी
+
ओस की बूँद ।
अत्याचारों से
+
 
4
 
4
नहीं बनाते
+
घेरे हैं मुझे
पंछी भी आशियाना
+
उदासियों के घेरे
सूखे वृक्षों पे
+
साँझ सवेरे ।
 +
5
 +
आसमान में
 +
काले सर्प -सा धुआँ
 +
फन फैलाए !
 +
6
 +
चिड़ियाँ गातीं
 +
घण्टियाँ मन्दिर की 
 +
गीत सुनाती ।
 +
7
 +
है डिस्को यहाँ 
 +
छुए जो मन को वो
 +
भजन कहाँ ?
 
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14:55, 9 मई 2012 का अवतरण

1
दुल्हन झील
तारों की चूनर से
घूँघट काढ़े ।
2
लेटी थी धूप
सागर तट पर
प्यास बुझाने !
3
लिये बैठी
गुलाब की पाँखुरी
ओस की बूँद ।
4
घेरे हैं मुझे
उदासियों के घेरे
साँझ सवेरे ।
5
आसमान में
काले सर्प -सा धुआँ
फन फैलाए !
6
चिड़ियाँ गातीं
घण्टियाँ मन्दिर की
गीत सुनाती ।
7
है डिस्को यहाँ
छुए जो मन को वो
भजन कहाँ ?