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हाइकु / भावना कुँअर

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1
चाहो अगर
छूना आसमान को
फैलाओ पंख
2
शाम के वक्त
लौटते हैं पंछी भी
आशियाने में
3

सिसक रहे
हरे भरे वृक्ष भी
अत्याचारों से
4
नहीं बनाते
पंछी भी आशियाना
सूखे वृक्षों पे