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"हाइकु 11-20/ रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 
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11
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व्याकुल गाँव
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व्याकुल होरी के हैं
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घायल पाँव ।
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12
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कर्ज़ का भार
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उजड़े हुए खेत
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सेठ की मार ।
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13
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बेटी मुस्काई
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बहू बन पहुँची
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लाश ही पाई ।             
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14
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यह जनता
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मेले में गुमशुदा
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अबोध शिशु
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15
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नई सभ्यता
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आंगन में उगाते
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हैं नागफनी
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16
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दाएँ  न बाएँ
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खड़े हैं अजगर
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किधर जाएँ ।
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17
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लूट रहे हैं
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सब  पहरेदार
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इस देश को
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18
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मौत है आई
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जीना सिखलाने को
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देंगे बधाई ।
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19
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मैं नहीं हारा
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है साथ न सूरज
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चाँद न तारा ।
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20
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साँझ की बेला
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पंछी ॠचा सुनाते
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मैं हूँ अकेला ।
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-0-
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18:54, 18 मई 2012 के समय का अवतरण