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"हाइकु 21-30 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 
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[[Category:हाइकु]]
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21
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फैली मुस्कान
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शिशु की दूधिया या
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हुआ विहान ।
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22
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सर्दी की धूप
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उतरी आँगन में
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ले शिशु -रूप
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23
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खिलखिलाई
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पहाड़ी नदी-जैसी
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मेरी मुनिया ।
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24
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खुशबू- भरी
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हर पगडण्डी -सी
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नन्हीं दुनिया ।
+
25
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तुतली बोली
+
आरती  में किसी ने
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मिसरी घोली ।
+
26
+
इस धरा का
+
सर्वोच्च सिंहासन
+
है बचपन
+
27
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मन्दिर में न
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राम बसा है ,बसा
+
भोले मन में
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-0-
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28
+
साँसों की डोर
+
जन्म और मरण
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इसके छोर ।
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29
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अँजुरी भर
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आशीष तुम्हें दे दूँ
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आज के दिन ।
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30
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फैली चाँदनी
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धरा से नभ तक
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जैसे चादर । 
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18:57, 18 मई 2012 के समय का अवतरण