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"हाइकु 61-80 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 
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<poem>
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61
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इस जग में
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ये बहिनों का प्यार
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है उपहार ।
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62
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राखी का बन्ध
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बहिनों से सम्बन्ध
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न  छूटे कभी ।
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63
+
सरस मन
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खुश घर -आँगन
+
आई बहिन ।
+
64
+
अश्रु-धार में
+
जो शिकायतें -गिले
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धूल -से धुले ।
+
65
+
आज के दिन
+
बहिन है अधीर
+
आया न बीर ।
+
66
+
खिले हैं मन
+
आज नेह का ऐसा
+
दौंगड़ा  पड़ा ।
+
67
+
छुआ जो शीश
+
भाई ने बहिन का
+
झरे आशीष ।
+
68
+
मन कुन्दन
+
कुसुमित  कानन
+
हर बहन ।
+
69
+
गले मिले तो
+
सपना टूट गया
+
आँसू छलके
+
70
+
भीगी पलकें
+
छूती गोरा मुखड़ा
+
तेरी अलकें
+
71
+
तुमको देखा
+
मिट गई मन से
+
चिन्ता की रेखा ।
+
72
+
कुछ समझे हम
+
तुम्हें कुछ समझ लेंगे 
+
लेने कई जनम
+
73
+
तुमको देखा -
+
मिट गई मन से
+
चिन्ता की रेखा ।
+
74
+
नेह की  गली
+
मन में खिली अब
+
आस की कली
+
75
+
दीपक जले
+
उतरा धरा नभ
+
मिलता गले ।
+
76
+
अँधेरा डरा
+
देखकर उजाला
+
छुपता फिरा ।
+
77
+
रोशनी बसी-
+
मन नन्हें शिशु की
+
बिखरी हँसी
+
78
+
दिया जो जला
+
था डरा अँधियारा
+
उजाला खिला
+
79
+
ओस नहाई
+
शरद की जुन्हाई
+
है सकुचाई ।
+
80
+
नदी का तीर
+
हुआ निर्मल नीर
+
हर ली पीर ।
+
-0-
+
</poem>
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18:59, 18 मई 2012 के समय का अवतरण