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हाथ / गोरख पाण्डेय
Kavita Kosh से
रास्ते में उगे हैं काँटे
रास्ते में उगे हैं पहाड़
देह में उगे हैं हाथ
हाथों में उगे हैं औज़ार
(रचनाकाल : 1979)