भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
"[[हिन्दी साहित्य में स्थान बनाती जापानी विधाऐं]]" सुरक्षित कर दिया ([संपादन=केवल प्रबन्धकों को अनु
==[[ताँका]]==
ताँका जापानी काव्य की कई सौ साल पुरानी काव्य शैली है । इस जापानी विधा को हिन्दी काव्य गत के अनुशासन से परिचित कराते हुए [[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु']] ने बताया है:-
* इस शैली को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी के दौरान काफी प्रसिद्धि मिली। उस समय इसके विषय धार्मिक या दरबारी हुआ करते थे । [[हाइकु]] का उद्भव इसी से हुआ । इसकी संरचना 5+7+5+7+7=31वर्णों की होती है।
* एक कवि प्रथम 5+7+5=17 भाग की रचना करता था तो दूसरा कवि दूसरे भाग 7+7 की पूर्त्ति के साथ शृंखला को पूरी करता था । फिर पूर्ववर्ती 7+7 को आधार बनाकर अगली शृंखला में 5+7+5 यह क्रम चलता;फिर इसके आधार पर अगली शृंखला 7+7 की रचना होती थी ।
5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7 और अन्त में +[एक ताँका जोड़ दीजिए।] या यों समझ लीजिए कि समापन करते समय इस क्रम के अन्त में 7 वर्ण की एक और पंक्ति जोड़ दीजिए । इस अन्त में जोड़े जाने वाले ताँका से पहले कविता की लम्बाई की सीमा नहीं है । इस कविता में मन के पूरे भाव आ सकते हैं ।
* इनका कुल पंक्तियों का योग सदा विषम संख्या [ ODD] यानी 25-27-29-31……इत्यादि ही होता है ।
*डॉ0 डॉ [[सुधा गुप्ता ]] जी ने स्वतन्त्र रूप से '[[ओक भर किरनें / सुधा गुप्ता|ओक भर किरनें]] '[[ भावना कुँअर ]] ने '''परिन्दे कब लौटे''', चोका रचनाओं के द्वारा इस शैली के रचनाकर्म की ओर अनेक कवियों को प्रोत्साहित किया । मिले किनारे'[[ रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ]] और [[ हरदीप कौर सन्धु]] का [[ चोका ]] एवं [[ताँका]] का युगल संकलन है । उजास साथ रखना एक मात्र सम्पादित [[ चोका]] -संगह संग्रह है; जिसका सम्पादन [[ रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ]], [[ भावना कुँअर ]] और [[ हरदीप कौर सन्धु]] ने किया है ।
==हाइकु का चित्रात्मक निरूपण है [[कविता कोश के मानक| हाइगा]]==