भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हिन्दू-मुसलमान / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:38, 20 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: :{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= बदलता युग / महेन्द्र भटनागर }} ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


एक है सबका ख़ुदा, जिसने बनाये जीव सारे !

ख़ून की नदियाँ बहाकर
देश की रक्षा न होगी,
धर्म का ले नाम यों पथ-
भ्रष्ट मानवता न होगी,
सभ्यता का हार जिसमें
उच्च भावों को पिरोये
हैं युगों से क़ीमती मोती
अनेकों प्राण खोये।
एक होकर ही रहेंगे, हिन्द तेरे जन-सितारे !


भूत सिर पर छा गया
हैवानियत का क्रूर निर्दय,
शक्ति का आह्नान कर
जागो, मनुजता की कहो जय !
छोड़ संयम हो गये सब
क्रोध से हिंसक व निर्मम
और भाई का गला भाई
गिराता है, यही ग़म,
याद करलो, उस ख़ुदा को हैं सभी जन-प्राण प्यारे !