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"हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया।
 
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वर्ना था घर से सिवा इस घर का हर गोशा वसीअ़॥
 
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है यह सब किस्मत की कोताही वगर्ना ‘आरज़ू’।
 
है यह सब किस्मत की कोताही वगर्ना ‘आरज़ू’।
 
बढ़के दामाने-तलब से हाथ है उसका वसीअ़॥
 
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00:28, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया।
वर्ना था घर से सिवा इस घर का हर गोशा वसीअ़॥

छोड़ दे दो गज़ ज़मीं, है दफ़्न जिसमें इक गरीब।
है तेरी मश्क़े-ख़िरामेनाज़ को दुनिया वसीअ़॥

है यह सब किस्मत की कोताही वगर्ना ‘आरज़ू’।
बढ़के दामाने-तलब से हाथ है उसका वसीअ़॥