भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"है चाहता बस मन तुम्हें / कृष्ण शलभ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण शलभ}} Category:प्रेम-कविताएँ <poem> शीतल पवन, गंधि...)
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
 
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
 
है चाहता बस मन तुम्हें
 
है चाहता बस मन तुम्हें
 +
 +
शतदल खिले भौंरे जगे
 +
मकरन्द फूलों से भरे
 +
हर फूल पर तितली झुकी
 +
बौछार चुम्बन की करे
 +
सब ओर मादक अस्फुरण
 +
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
 +
है चाहता बस मन तुम्हें
 +
 +
  
 
</poem>
 
</poem>

23:53, 11 सितम्बर 2009 का अवतरण

शीतल पवन, गंधित भुवन
आनन्द का वातावरण
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें

शतदल खिले भौंरे जगे
मकरन्द फूलों से भरे
हर फूल पर तितली झुकी
बौछार चुम्बन की करे
सब ओर मादक अस्फुरण
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें