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"है चाहता बस मन तुम्हें / कृष्ण शलभ" के अवतरणों में अंतर
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+ | टूटे बदन घेरे मदन | ||
+ | है चक्र रतिरथ का चला | ||
+ | कितने गिनाऊँ उद्धरण | ||
+ | सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं | ||
+ | है चाहता बस मन तुम्हें | ||
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23:56, 11 सितम्बर 2009 का अवतरण
शीतल पवन, गंधित भुवन
आनन्द का वातावरण
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें
शतदल खिले भौंरे जगे
मकरन्द फूलों से भरे
हर फूल पर तितली झुकी
बौछार चुम्बन की करे
सब ओर मादक अस्फुरण
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें
संझा हुई सपने जगे
बाती जगी दीपक जला
टूटे बदन घेरे मदन
है चक्र रतिरथ का चला
कितने गिनाऊँ उद्धरण
सब कुछ यहाँ बस तुम नहीं
है चाहता बस मन तुम्हें